अब अपने शहर विशाखापट्टनम में सबसे अनुभवी डॉक्टर से कराएं एनल फिशल का दर्द रहित लेजर सर्जरी द्वारा उपचार
एनल फिशर क्या है?
गुदा नलिका का गुदा की त्वचा में एक छोटा कट या दरार आ जाए तो उसे एनल फिशर कहते हैं। मल त्याग के दौरान ये दरार दर्दनाक हो जाते हैं और और रक्तस्राव का कारण बनते हैं। रोगी गुदा क्षेत्र के आस-पास ऐंठन भी महसूस कर सकता है।
क्रोनिक एनल फिशर का इलाज सिर्फ सर्जरी ही है। एनल फिशर को उपचार रहित छोड़ने पर अन्य जटिलताएं जन्म ले सकती हैं।
कारण:
- हार्ड स्टूल
- क्रोनिक कब्ज
- क्रोनिक डायरिया
- एनल सेक्स
- महिलाएं बच्चे को जन्म देते समय इस समस्या से पीड़ित हो सकती हैं।
लक्षण
- मल त्याग करते समय दर्द और जलन
- मल त्याग के बाद होने वाली जलन काफी देर तक बनी रहती है
- गुदा की त्वचा के आस-पास कोई छोटा कट या दरार
- लेट्रिन करते समय ब्लड निकलना
जोखिम
- गुदा से बदबू आना
- क्रोनिक फिशर
- एनल फिस्टुला
- एनल कैनाल का पतला होना
विशाखापट्टनम में एनल फिशर का इलाज के लिए हम ही क्यों?
क्योंकि, एनल फिशर के उचित निदान और इलाज के लिए अनुभवी डॉक्टरों की जरूरत होती है। हमारे पास विशाखापट्टनम में एनल फिशर के सबसे अधिक अनुभवी डॉक्टर हैं, जिन्हें कई वर्षों का अनुभव है।
अधिक अनुभव होने के कारण वे उचित निदान करते हैं। यदि फिशर क्रोनिक नहीं है तो अन्य उपचार विधि की सलाह दी जाती है। इनके अलावा निम्न सुविधाएं हमें विशाखापट्टनम में एक बेहतर हेल्थ केयर प्रोवाइडर बनाती हैं-

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निदान
डॉक्टर रोगी के मेडिकल इतिहास का निरीक्षण करेगा और गुदा क्षेत्र का फिजिकल जांच करेगा। एक्यूट एनल फिशर कम संवेदनशील होता है और यह एक ताजे कट के सामान नजर आता है। क्रोनिक एनल फिशर में कट गहरा होता है, आस-पास क्षतिग्रस्त मांसपेशियों की वृद्धि नजर आ सकती है।
फिशर के स्थान और गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर कुछ अन्य जांच करने का निर्देश दे सकते हैं:
एनोस्कोपी
एनोस्कोप एक पतला ट्यूब के आकार का उपकरण है जिसे रोई के मलद्वार में डाला जाता है। डॉक्टर इससे गुदा और मलाशय की स्थिति का मुआयना करते हैं।
कोलोनोस्कोपी
फिशर के निदान के बाद अगर डॉक्टर को पेट का कैंसर, दर्द या दस्त का संकेत मिलता है तो यह परीक्षण किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में बृहदान्त्र का संपूर्ण निरीक्षण करने के लिए डॉक्टर एक पतली ट्यूब का इस्तेमाल करते हैं। जिनकी उम्र 50 से अधिक है, यह परीक्षण आवश्यक होता है।
सिग्मायोडोस्कोपी
रोगी की उम्र 50 वर्ष से कम हो, आंत या पेट के कैंसर की संभावना न हो, तो डॉक्टर सिग्मायोडोस्कोपी की सलाह देते हैं। एल पतली और लचीली ट्यूब को कैमरा के साथ रोगी के शरीर में डाला जाता है।
सर्जरी
नॉन-सर्जिकल ट्रीटमेंट- एक्यूट एनल फिशर का इलाज के लिए डॉक्टर संवेदनाहारी क्रीम या मरहम की सलाह दे सकते हैं। इन्फेक्शन का खतरा होने पर एंटीबायोटिक दवा दी जा सकती है।
स्फिंकटर मांसपेशी को लचीला और शिथिल करने की दवा दी जा सकती है। फाइबर और तरल पदार्थ का अधिक सेवन करने को कहा जाता है, स्टूल सॉफ्टनर भी लिख सकते हैं।
क्रोनिक एनल फिशर का इलाज के लिए सर्जिकल प्रक्रिया इस्तेमाल में लाई जा सकती है। कई बार फिशर के लक्षण लगातार बढ़ते जाते हैं जो बाद में फिस्टुला का रूप ले लेते हैं। इसलिए स्थिति के अनुसार सर्जिकल उपचार का चयन करने में हिचकिचाना नहीं चाहिए।
विशाखापट्टनम में एनल फिशर का ऑपरेशन के लिए निम्न प्रक्रियाएं उपलब्ध हैं-
- ओपन सर्जरी– एनल फिशर की पारंपरिक सर्जरी है जिसे स्फिंक्टरोटॉमी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में स्फिंकटर को काट दिया जाता है। यह सर्जरी आमतौर पर तब की जाती है जब अन्य इलाज के बाद भी बार-बार फिशर की स्थिति बन जाती है।
- लेजर सर्जरी– यह एनल फिशर का एक आसान सर्जिकल ट्रीटमेंट है। यह सर्जरी लोकल एनेस्थीसिया और लेजर आधारित उपकरणों की मदद से कम समय में संपन्न हो जाती है। सर्जरी के बाद होने वाली जटिलताएं भी कम हैं। विशाखापट्टनम में एनल फिशर की लेजर सर्जरी में CO2 लेजर का इस्तेमाल किया जाता है। इन किरणों के संपर्क में आते ही घाव हील होने लगते हैं और फिशर का उचित इलाज होता है। CO2 लेजर के इस्तेमाल से सर्जन बेहतर नियंत्रण के साथ प्रक्रिया को अंजाम दे पाता है।
अधिकतर पूछे गए सवाल
एनल फिशर के इलाज में देरी करने से यह समस्याएं जन्म ले सकती हैं-
कब्ज
मल में कठोरता और स्थिरता
मल त्याग के दौरान दर्द और खून बहना
एक्यूट एनल फिशर क्रोनिक हो जाता है
क्रोनिक फिशर फिस्टुला में तब्दील हो जाता है
इसलिए यदि आप विशाखापट्टनम में रहते हैं तो आपको तुरंत ही एनल फिशर का ऑपरेशन के लिए डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
एनल फिशर में गुदा नलिका में होने वाली जलन खुजली का कारण बन सकती है। मल त्याग के दौरान खून आ सकता है और खुजली बढ़ जाती है। खुजली से बचने के लिए सुनिश्चित करें की मल त्याग के बाद गुदा द्वार सूखा हो और स्मूथ हो। नमी बनाए रखने के लिए विशाखापट्टनम के हमारे/दूसरे डॉक्टर द्वारा सलाहित मेडिकल पाउडर या क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं।
जी नहीं, गुदा विदर विदर कोलोरेक्टल कैंसर का कारण नहीं बनता है। रोगी अक्सर कैंसर समझ लेते हैं क्योंकि विदर कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण फिशर के लक्षणों से थोड़ा मिलते-जुलते हैं।
फिशर का इलाज और रिकवरी के बाद भी अगर मल से खून आना और अन्य लक्षणों को महसूस करते हैं तो डॉक्टर को इसकी सूचना दें।
एक्यूट एनल फिशर के लिए सर्जरी की आवश्यकता बहुत कम होती है। लक्षण बढ़ने या क्रोनिक फिशर की स्थिति में लेजर सर्जरी की सलाह दी जाती है। लेजर सर्जरी में बहुत कम समय लगता है, रिकवरी तेज होती है, पोस्ट-सर्जिकल जटिलताएं कम हैं और एक ही दिन में हॉस्पिटल से छुट्टी मिल जाती है। लेजर सर्जरी फिशर का स्थाई इलाज करने में सक्षम है। विशाखापट्टनम में एनल फिशर का ऑपरेशन के लिए लेजर सर्जरी का चयन करना चाहिए।
फिशर की लेजर सर्जरी के बाद केवल 2-4 दिनों में रोगी अपने काम पर लौट सकता है। पूरी तरह से स्वस्थ होने में चार हफ्ते लग सकते हैं। इस दौरान रोगी को कुछ सावधानियों का पालन करना होता है।
एनल फिशर की लेजर सर्जरी के बाद सावधानियां
- सर्जिकल प्रक्रिया के बाद कुछ दिनों तक खिंचाव पैदा करने वाली एक्सरसाइज से बचें
- सिट्ज बाथ लें
- मल त्याग के दौरान हल्की-फुल्की ब्लीडिंग या दर्द होने पर घबराएं नहीं
- खुजली या दर्द होने पर एनेस्थेटिक क्रीम का उपयोग करें
- कब्ज से बचें, तरल पदार्थ का सेवन अधिक करें
- उचित समय पर भोजन करें, बहुत अधिक न खाएं
- 101 डिग्री से अधिक बुखार होने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें