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एनल फिस्टुला का आधुनिक इलाज - Piles Ka ilaj

एनल फिस्टुला या भगंदर की पुष्टि होने के बाद जल्द से जल्द इलाज के विकल्पों पर बात करनी आवश्यक है, क्योंकि यह एक ऐसी स्थिति है, जो अपने आप ठीक नहीं होती है। हमारे पास ऐसे सर्जन है जो भगंदर जैसे गंभीर रोग के निदान के साथ आधुनिक इलाज प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं। एनल फिस्टुला एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जिसके इलाज से पहले रोगी को इस रोग के बारे में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। इससे रोगी को बहुत लाभ मिल सकता है।

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एनल फिस्टुला क्या है? – Bhagandar kya hai

एनल फिस्टुला दो शब्दों से मिलकर बना है – एनल और फिस्टुला। एनल को हिंदी भाषा में गुदा कहते हैं और फिस्टुला वह स्थिति है, जिसमें अंगों या नसों के बीच एक असामान्य जोड़ बन जाता है। इसके द्वारा दो ऐसे अंग या नस जुड जाते हैं, जो प्राकृतिक रूप से जुड़े नहीं होते हैं। एनल फिस्टुला में यह जोड योनि व मलाशय के बीच में होता है।

फिस्टुला अलग अलग प्रकार के होते हैं और भगंदर उनमें से सबसे आम प्रकार के फिस्टुला है। आमतौर पर एनल फिस्टुला के होने के पीछे का कारण संक्रमण हो सकता है।

भगंदर के प्रकार – Types of Anal Fistula in Hindi

भगन्दर के कारण गुदा के आसपास के क्षेत्र में समस्या आती है और इस रोग से बचने के लिए डॉक्टर ऑपरेशन का सुझाव देते हैं। गुदा में दर्द, सूजन, सामान्य रूप से मल आने में बदलाव और गुदा से रिसाव होना इस रोग के कुछ सामान्य लक्षण है। अलग अलग प्रकार के भगंदर लोगों को प्रभावित करते हैं। भगंदर के प्रकार उसके स्थान पर निर्भर करते हैं। मुख्यतः चार प्रकार के भगंदर होते हैं –

  • इंटरस्फिंक्टरिक फिस्टुला – यह गुदा की आंतरिक और बाहरी स्फिंक्टर मांसपेशियों के बीच स्थित होता है। इस प्रकार के फिस्टुला सबसे ज्यादा मामलों में देखे जाते हैं।
  • ट्रांसस्फिंक्टरिक फिस्टुला – यह गुदा की आंतरिक और बाहरी दोनों स्फिंक्टर मांसपेशियों से होकर गुदा के आस-पास फैलता है। यह आमतौर पर एक संक्रमण के कारण होता है, जो फोड़े से फैलता है।
  • सुप्रास्फिंक्टरिक फिस्टुला – सुप्रास्फिंक्टरिक एनल फिस्टुला आंतरिक स्फिंक्टर मांसपेशी के ऊपर फैला होता है और आमतौर पर यह एक संक्रमण के कारण होता है जो एक फोड़े से फैलता है।
  • एक्स्ट्रास्फिंक्टरिक फिस्टुला – एक्स्ट्रास्फिंक्टरिक एनल फिस्टुला बाहरी स्फिंक्टर मांसपेशी से आगे तक फैला होता है और आमतौर पर क्रोनिक संक्रमण के कारण होता है।

एनल फिस्टुला (भगन्दर) का निदान – Anal Fistula ki janch

कभी कभी लक्षणों से एनल फिस्टुला की पुष्टि नहीं हो पाती है। यदि डॉक्टर को संदेह है कि रोगी भगंदर की समस्या से पीड़ित है, तो डॉक्टर सबसे पहले शारीरिक परीक्षण का सुझाव देते हैं। कुछ मामलों में देखा गया है कि एनल फिस्टुला अपने आप ठीक भी हो जाता है। लेकिन बिना इलाज के यह रोग गंभीर स्थिति में परिवर्तित हो सकता है। सबसे पहले डॉक्टर रिसाव और रक्त हानि के लक्षणों की जाँच करेंगे। इसके साथ साथ वह गुदा की शारीरिक जांच कर स्थिति का आकलन करेंगे।

कुछ प्रकार के फिस्टुला की पुष्टि शारीरिक परीक्षण से ही हो जाती लेकिन कुछ के लिए कुछ अन्य परीक्षण का सुझाव दिया जाता है। ऐसे में डॉक्टर एक्स रे और सीटी स्कैन जैसे परीक्षणों की सहायता से इस रोग की पुष्टि करते हैं। कुछ मामलों में डॉक्टर कोलोनोस्कोपी का भी सुझाव दे सकते हैं। कोलोनोस्कोपी एक ऐसा परीक्षण है, जिसमें एक दूरबीन का प्रयोग होता है। उस दूरबीन में कैमरा लगा होता है और इससे गुदा और मलाशय के अंदर के भाग को आसानी से देखा जा सकता है। इस जांच के दौरान रोगी को बेहोश कर दिया जाता है, जिसके कारण परीक्षण के दौरान रोगी को कोई दर्द या असहजता का अनुभव नहीं होता है।

एनल फिस्टुला का स्थाई इलाज – Fistula ka ilaj

भगंदर एक ऐसी समस्या है, जिसके लिए सर्जिकल और नॉन सर्जिकल दोनों प्रकार के इलाज का सुझाव दिया जा सकता है। चलिए सबसे पहले हम फिस्टुला ट्रीटमेंट के लिए सर्जिकल प्रक्रिया को समझते हैं –

एनल फिस्टुला के स्थाई इलाज के लिए सर्जिकल ट्रीटमेंट

फिस्टुलोटॉमी – Fistulotomy

फिस्टुलोटॉमी भगन्दर के इलाज के लिए एक सामान्य सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें भगंदर के ट्यूब को ही काट दिया जाता है और उसे खोल दिया जाता है। यह ऐसी प्रक्रिया है, जिससे भगंदर ठीक हो सकता है और इस रोग के फिर से उत्पन्न होने की संभावना न के बराबर हो जाएगी। हालांकि, कुछ जटिल मामलों में इस प्रक्रिया के कारण स्फिंकटर मांसपेशियों को नुकसान हो सकता है।

फिस्टुला ट्रीटमेंट के 1 से 2 सप्ताह के बाद रोगी अपने सामान्य दिनचर्या में वापस जा सकते हैं। लेकिन रोगी को पूर्ण रूप से स्वस्थ होने में कई हफ्तों से लेकर कई महीनों तक का समय लग सकता है।

LIFT प्रक्रिया

लिगेशन ऑफ़ इंटरस्फिंक्टेरिक फिस्टुला ट्रैक्ट (LIFT) प्रक्रिया से भगंदर के उस प्रकार का इलाज होता है, जिसका एक बड़ा भाग स्फिंकटर मांसपेशियों से होकर गुजरता है। सामान्यतः डॉक्टर इस प्रक्रिया का सुझाव तब देते हैं जब डॉक्टर को लगता है कि फिस्टुलोटॉमी प्रक्रिया के कारण रोगी को कोई जोखिम हो सकता है।

इस ऑपरेशन के दौरान सबसे पहले भगंदर के ऊपर की त्वचा को काटकर स्फिंकटर मांसपेशियों से अलग किया जाता है। इसके बाद भगंदर के दोनों भाग को बंद करके एक फ्लैट स्कार के रूप में काट दिया जाता है।

इस प्रक्रिया में उच्च सफलता दर दर्ज की गई है, जिसके बड़े साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिलते हैं। लेकिन इस प्रकार के ऑपरेशन के बाद फिस्टुला रोगी को फिर से परेशान नहीं करता है।

फिस्टुलेक्टोमी – Fistulectomy

इस प्रक्रिया के दौरान भगंदर को पूर्ण रूप से काटकर शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। इस सर्जरी को फिस्टुलेक्टोमी कहा जाता है। जिन मामलों में स्थिति गंभीर हो जाती है, उस स्थिति में डॉक्टर इस इलाज के विकल्प का चयन करते हैं। इस प्रक्रिया को चुनने के कुछ साइड इफेक्ट है। सबसे मुख्य जटिलता है लेट रिकवरी। ऑपरेशन के बाद रोगी को रिकवर होने में चार से छह सप्ताह तक का समय लग सकता है। ऑपरेशन के बाद रोगी को एक और मुख्य समस्या का सामना करना पड़ सकता है जैसे – मल नियंत्रण में समस्या।

लेजर ऑपरेशन – Laser Operation

भगंदर का लेजर ऑपरेशन एक आधुनिक ऑपरेशन है जिसमें लेजर बीम की सहायता से फिस्टुला ट्रैक्ट को ही ब्लॉक कर दिया जाता है। प्रक्रिया से पहले सर्जन रोगी को लोकल एवं जनरल एनेस्थीसिया देते हैं। किस प्रकार के एनेस्थीसिया का प्रयोग होगा डॉक्टर इसका निर्णय रोगी के स्वास्थ्य स्थिति के आधार ले सकते हैं। लेज़र ऑपरेशन में स्फिंकटर मांसपेशियों को काटने की आवश्यकता नहीं होती है, जिसके कारण मल न रोक पाने की समस्या का खतरा कम हो जाता है और इसके कारण रोगी जल्द से जल्द स्वस्थ भी हो जाता है।

एनल फिस्टुला के इलाज के लिए नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट

फाइब्रिन ग्लू इंजेक्शन

फाइब्रिन ग्लू एक नॉन-सर्जिकल एनल फिस्टुला ट्रीटमेंट है। जनरल एनेस्थीसिया के प्रभाव में इस प्रक्रिया को किया जाता है। जैसे ही रोगी एनेस्थीसिया के प्रभाव में होते हैं, सर्जन गुदा में मौजूद फिस्टुला में इंजेक्शन के माध्यम से एक विशेष प्रकार के ग्लू को डालते हैं। इस ग्लू के माध्यम से भगंदर के निकलने के स्थान को बंद कर दिया जाता है।

इस प्रकार के नॉन सर्जिकल विकल्प से रोगी को कुछ समय के लिए राहत मिल जाती है, लेकिन फिस्टुला का स्थाई इलाज ऑपरेशन से ही संभव है।

एनल फिस्टुला के लेजर इलाज के फायदे – Bhagandar ke laser ilaj ke fayde

लेजर द्वारा एनल फिस्टुला सर्जरी एक मिनिमल इनवेसिव सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसका उपयोग एनल फिस्टुला के स्थाई इलाज के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया पारंपरिक सर्जिकल तकनीकों की तुलना में लाभकारी होती है। चलिए इस ऑपरेशन के सभी लाभों को एक-एक करके समझते हैं –

  • कम दर्द: लेजर सर्जरी में पारंपरिक सर्जरी की तुलना में दर्द कम होता है। इसके पीछे का कारण है छोटा चीरा लगना। इसके साथ-साथ यह ऑपरेशन इतना सटीक होता है कि इसके कारण गुदा के आस-पास के क्षेत्र पर किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होती है।
  • फास्ट रिकवरी: जो मरीज लेजर एनल फिस्टुला सर्जरी से गुजरते हैं, वह बाकी दूसरे ऑपरेशन की तुलना में जल्द रिकवर होते हैं।
  • जटिलताओं का जोखिम कम: लेजर फिस्टुला सर्जरी के बाद रक्त हानि, संक्रमण, और असंयम जैसी जटिलताओं का रोगी को सामना नहीं करना पड़ता है।
  • बेहतर कॉस्मेटिक परिणाम: पारंपरिक सर्जरी की तुलना में लेजर सर्जरी से घाव कम होते हैं और कॉस्मेटिक परिणाम भी बेहतर मिलते हैं।
  • आउट पेशेंट प्रक्रिया: लेजर एनल फिस्टुला सर्जरी एक आउट पेशेंट प्रक्रिया है, जिसका अर्थ है कि रोगी को ऑपरेशन के लिए भर्ती होने की ज़रूरत नहीं होती है।

एनल फिस्टुला (भगन्दर) के नुकसान – Anal Fistula Complications in Hindi

भगंदर की सर्जरी के बाद कुछ जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे –

    • दर्द और असुविधा: एनल फिस्टुला सर्जरी के बाद दर्द और असुविधा का होना एक आम समस्या है। कितना दर्द होगा यह रोगी की गंभीरता और ऑपरेशन के प्रकार पर निर्भर होगा। दर्द निवारक दवा से दर्द को नियंत्रित किया जा सकता है।
    • संक्रमण: सर्जरी से संक्रमण होने का खतरा रहता ही है क्योंकि इसमें या तो कट लगाया जाता है या फिर सर्जिकल उपकरणों का प्रयोग होता है। भगन्दर की नली में मौजूद संक्रमण कभी-कभी शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकता है, इसलिए ऑपरेशन के बाद अधिक सटीकता बरती जाती है। यदि ऐसा होता भी है, तो डॉक्टर रोगी को एंटीबायोटिक दवाओं का सुझाव दे सकते हैं।
  • मल पर नियंत्रण खोना: कुछ चुनिंदा मामलों में ही देखा गया है कि ऑपरेशन के दौरान स्फिंकटर मांसपेशियों क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिसके कारण रोगी को मल त्याग करने में भी समस्या होती है। ऐसा होने की संभावना सर्जरी के प्रकार व भगन्दर के स्थान पर निर्भर करती है। यदि रोगी को सर्जरी से पहले भी यह समस्या थी, तो सर्जरी के बाद यह विकराल रूप ले सकती है।
  • फिस्टुला का फिर से बनना: सर्जरी के बाद एनल फिस्टुला की समस्या रोगी को फिर से परेशान कर सकती है। आधुनिक ऑपरेशन के बाद ऐसा होने की संभावना न के बराबर है, लेकिन एक दो मामलों में ऐसा हो सकता है।

एनल फिस्टुला सर्जरी एक सुरक्षित सर्जरी है, लेकिन इसमें कुछ जोखिम और जटिलताएं होती हैं। रोगी को इन जोखिमों के बारे में पता होना चाहिए। इसके लिए वह अपने डॉक्टर से भी सलाह ले सकते हैं।

एनल फिस्टुला सर्जरी से पहले तैयारी कैसे करें?

एनल फिस्टुला सर्जरी कोई बहुत बड़ी सर्जरी नहीं है, लेकिन फिर भी रोगी को इलाज से पहले कुछ विशेष तैयारी करने का सुझाव दिया जाता है। डॉक्टर भी मानते हैं कि यदि रोगी ऑपरेशन से पहले कुछ विशेष तैयारी करें तो ऑपरेशन के बाद उत्पन्न होने वाली जटिलताओं से बचा जा सकता है। निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन कर रोगी स्वयं को इलाज के लिए तैयार कर सकते हैं।

  • प्रक्रिया के बारे में जानें: सर्जरी से पहले, अपने डॉक्टर से प्रक्रिया के बारे में पूर्ण जानकारी लें। वह रोगी को कुछ ऐसी चीजों के बारे में बता सकते हैं, जिससे उन्हें बहुत लाभ होगा।
  • सर्जन के निर्देशों का पालन करें: सर्जन कुछ विशेष दिशा-निर्देश भी देते हैं, जिनका पालन कर रोगी को इलाज के दौरान और बाद में बहुत सहायता मिल सकती है। सबसे पहले वह रोगी को कुछ आहार संबंधित बदलावों का सुझाव दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ दवाओं के सेवन से रोगी को लाभ मिल सकता है। सफल सर्जरी सुनिश्चित करने और सर्जरी के दौरान किसी भी जटिलता से बचने के लिए इन निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है।
  • इलाज वाले दिन अपने साथ एक व्यक्ति को ज़रूर लाएं: संभवतः सर्जरी के दौरान रोगी को एनेस्थीसिया दिया जाएगा, जिसका मतलब है कि ऑपरेशन के बाद रोगी को कुछ समय के लिए एक साथी की आवश्यकता होगी।
  • रिकवरी की योजना बनाएं: सर्जरी के बाद, रोगी को आराम करने और ठीक होने के लिए समय की आवश्यकता होगी। यदि रोगी को जल्द से जल्द स्वस्थ होना है, तो उन्हें अपने शरीर को पूर्ण आराम देना होगा। यह तभी संभव है जब रोगी ऑपरेशन से पहले अपने अन्य काम से छुट्टी ले लें।
  • धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान के कारण सर्जरी के दौरान उत्पन्न होने वाली संभावित जटिलताएं बहुत ज्यादा बढ़ सकती हैं। यह रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली को कम करती है, और उपचार प्रक्रिया को बाधित कर सकती है। हमेशा डॉक्टरों के द्वारा धूम्रपान छोड़ने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
  • हाइड्रेटेड रहें: सर्जरी से पहले कब्ज की समस्या से बचने के लिए रोजाना 4 से 5 गिलास पानी पीएं। जब शरीर में पानी की कमी नहीं होगी, तो इसका सीधा लाभ रोगी को मिलेगा।
  • मेडिकल इतिहास: यदि रोगी को किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या है या फिर उसे एनेस्थीसिया से संबंधित कोई भी समस्या है, तो इसके बारे में डॉक्टर को सबसे पहले सूचित करें।

यदि इन चरणों का पालन किया जाता है, तो रोगी को ऑपरेशन के बाद बहुत लाभ मिलेगा।

ऑपरेशन के बाद रिकवरी – Recovery after Anal Fistula Surgery

फिस्टुला के ऑपरेशन के बाद ठीक होने का समय कई चीजों पर निर्भर करता है, जैसे रोगी का स्वास्थ्य, सर्जरी के प्रकार इत्यादि। अधिकांश घाव 6 सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं। लेकिन कुछ निर्देशों का पालन कर रोगी जल्द से जल्द स्वस्थ हो सकते हैं जैसे –

  • दर्द से राहत के लिए पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन जैसी दर्द निवारक दवाओं का सेवन कर सकते हैं। हल्के दर्द में इन दवाओं का सेवन न करें। दर्द जब असहनीय हो जाए तो अवश्य खाएं।
  • घाव को समय समय पर साफ करते रहें।
  • घाव की ड्रेसिंग नियमित रूप से बदलें। डॉक्टर या नर्स से इस संबंध में पूरी जानकारी प्राप्त करें।
  • सर्जरी के बाद पहले कुछ हफ्तों तक संभोग करने से बचें। शारीरिक संबंध स्थापित करने से पहले डॉक्टर से एक बार बात ज़रूर करें।

ऑपरेशन के बाद एनल फिस्टुला से बचाव कैसे करें? – Bhagandar se bachav

फिस्टुला एक ऐसी समस्या है, जो रोगी को बार बार परेशान कर सकती है। यदि वह ऑपरेशन के बाद कुछ खास निर्देशों का पालन करते हैं, तो इससे उन्हें स्वस्थ जीवन व्यतीत करने में बहुत मदद मिलेगी।

  • फाइबर युक्त आहार रोगी को कब्ज होने से रोक सकता है। इसके द्वारा मल त्याग में होने वाली समस्या से भी राहत मिल सकती है।
  • तरल पदार्थ के सेवन से भी कब्ज की समस्या से राहत मिल सकती है।
  • व्यायाम करने से शरीर स्वस्थ रहेगा और रोगी को कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या नहीं होगी।
  • मल को अधिक समय तक न रोकें क्योंकि इससे गुदा पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
  • शौचालय में मल करते समय पर्याप्त समय लें, लेकिन बहुत अधिक देर टॉयलेट सीट पर न बैठें क्योंकि इससे बवासीर की समस्या का खतरा अधिक रहता है।
  • दस्त लगने पर इसका इलाज जल्द से जल्द कराएं।

एनल फिस्टुला सर्जरी के बाद क्या खाएं?

एनल फिस्टुला सर्जरी के बाद रोगी को अपने आहार में बदलाव करने की सलाह दी जाती है। इससे रिकवरी में मदद मिलेगी और वह बेहतर गुणवत्ता के साथ जीवन भी व्यतीत कर पाएंगे। एनल फिस्टुला सर्जरी के बाद रोगी को निम्नलिखित खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है –

  • उच्च फाइबर युक्त आहार
  • लीन प्रोटीन
  • हरी सब्जियां
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड
  • प्रोबायोटिक युक्त आहार

इन सभी चीजों को रोगी को भगंदर के ऑपरेशन के बाद अपने आहार में जोड़नी चाहिए। इसके अतिरिक्त रोगी डॉक्टर से डाइट प्लान मांग सकते हैं।

एनल फिस्टुला सर्जरी के बाद क्या नहीं खाना चाहिए?

कुछ ऐसे प्रकार के भोजन है, जो रोगी को एनल फिस्टुला ऑपरेशन के बाद परेशान कर सकते हैं। रोगियों को निम्नलिखित प्रकार के भोजन से दूरी बनाने की सलाह दी जाती है।

  • तीखे भोजन से रोगी को गुदा क्षेत्र में जलन का सामना करना पड़ सकता है, जिसके कारण रोगी को दर्द और असहजता का सामना करना पड़ेगा।
  • मिल्क प्रोडक्ट पाचन क्रिया में समस्याएं खड़ी कर सकते हैं, जिससे कब्ज की समस्या हो सकती है।
  • अधिक तले हुए भोजन को पचाने के लिए शरीर को अधिक मेहनत करनी होगी, जिसके कारण रोगी को गुदा क्षेत्र में जलन का सामना करना पड़ सकता है।
  • शराब और कैफीन युक्त पेय पदार्थ रोगी के शरीर में पानी की कमी का कारण बन सकते हैं। इसे पूर्णतः त्यागने का प्रयास करें।
  • प्रोसेस्ड फूड में शुगर और नमक की मात्रा अधिक होती है, जिसके कारण यह शरीर को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
  • रेड मीट को पचने में समय लगता है, जिसके कारण रोगी को कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसका सेवन कम करें।

अधिकतर पूछे गए प्रश्न

एनल फिस्टुला सर्जरी में कितना खर्च आता है?

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एनल फिस्टुला के इलाज में 45,000 रुपये से लेकर 60,000 रुपये तक का खर्च आ सकता है। लेकिन एक बात का यहां खास ध्यान रखना होगा कि यह खर्च अनुमानित खर्च है और कई कारक इस खर्च को प्रभावित कर सकते हैं। कुछ कारक इस प्रकार है – जैसे अस्पताल की एडमिशन फीस, अस्पताल का चुनाव, एनेस्थीसिया का चुनाव, बीमा कवरेज, इत्यादि। इसके अतिरिक्त इलाज से पहले नैदानिक परीक्षण भी इलाज में लगने वाले खर्च को प्रभावित कर सकते हैं।

क्या एनल फिस्टुला सर्जरी को बीमा के द्वारा कवर किया जाता है?

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आमतौर पर, एनल फिस्टुला सर्जरी को बीमा कंपनियों के द्वारा कवर किया जाता है। लेकिन बीमा संबंधित किसी भी समस्या के लिए रोगी को सलाह दी जाती है कि वह अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

क्या भगंदर से कैंसर हो सकता है?

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कई बार देखा गया है कि क्रोनिक पाइल्स (Chronic piles) के कारण रोगी को भगंदर की समस्या का सामना करना पड़ता है। यदि इस स्थिति के बाद भी भगंदर का इलाज नहीं कराया गया, तो यह कैंसर में परिवर्तित हो सकता है। भगंदर के कैंसर को रेक्टल कैंसर कहते हैं और यह एक जानलेवा स्वास्थ्य स्थिति है।

बिना सर्जरी के फिस्टुला कैसे ठीक होता है?

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फाइब्रिन गोंद से उपचार वर्तमान में एनल फिस्टुला के लिए एकमात्र नॉन-सर्जिकल विकल्प है। इसमें सर्जन फिस्टुला में गोंद को इंजेक्ट करते हैं। गोंद फिस्टुला को सील करने में मदद करता है और उसे ठीक होने के लिए प्रोत्साहित करता है। लेकिन फिस्टुला की समस्या कुछ समय के बाद फिर से रोगी को परेशान कर सकती है।

भारत में फिस्टुला का सबसे अच्छा इलाज क्या है?

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आमतौर पर, सर्जरी को एनल फिस्टुला का स्थाई इलाज माना जाता है। एनल फिस्टुला के इलाज के लिए कई प्रकार के सर्जिकल प्रक्रियाओं का सुझाव दिया जाता है जैसे – फिस्टुलोटॉमी, LIFT प्रक्रिया, फिस्टुलेक्टोमी, और लेजर ऑपरेशन।

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इलाज करवा चुके रोगियों के रिव्यु

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Bawaseer ki laser surgery se operation ke 3 din baad main acchee tarah se chal paa raha hu aur latrin karne men koi dikkat nahi hoti.

Manoj

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Thank you so much, Mera Bahut acche se upchar hua. thanks to doctor for giving such treatment.

Sarthak

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Main piles se 2 saal se pareshan tha, thank you to the team, laser surgery ke 2 din baad main sabhi normal kaam kar paa raha hu. Doctor ne poori dekhbhal ki

Aabid

फिशर

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भगंदर

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बवासीर

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