फ्री में सलाह लें

बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं | गुदा रोग विशेषज्ञ की राय

Book FREE Doctor Appointment

Arrow Icon
Arrow Icon

भले ही दूध को संपूर्ण आहार की श्रेणी में रखा गया है, लेकिन कई रोगों में इसका सेवन वर्जित है। बवासीर के समय खानपान का सयंम होना उतना की आवश्यक है जितना कि शरीर में प्राण! खानपान एवं रहनसहन को दरकिनार करने के कारण बहुत से लोग बवासीर के गंभीर चरम पर पहुँच जाते हैं और उन्हें उपचार के लिए सिर्फ सर्जरी की जरूरत होती है।

बवासीर के दौरान खान-पान से ही जुड़ा एक प्रश्न है जो लगभग हर कोई जानना चाहता है – क्या बवासीर में दूध पीना चाहिए ? अगर नहीं पीना चाहिए तो क्यों? और दूध का दूसरा विकल्प क्या है आदि… आइये जानते हैं कि इस पर हमारे एक्सपर्ट की क्या राय है?

बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं | Milk in Piles – Yes or No

हालांकि अभी तक इस विषय पर कोई शोध परिणाम नहीं है। लेकिन कई एक्सपर्ट्स के मुताबिक़ बवासीर या अन्य गुदा रोग से पीड़ित होने पर जटिलताओं से बचने के लिए दूध का सेवन नहीं करना चाहिए।

दरअसल यह सीधे तौर पर बवासीर को प्रभावित नहीं करता है, बल्कि यह कब्ज का कारण बनता है और बवासीर के गंभीरता को बढ़ाने में मदद करता है।

दूध पीने के बाद कब्ज होना या पाचन का सही ढंग से काम नहीं करने का एक कारण लैक्टोज इंटॉलरेंस भी हो सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में लैक्टेज एंजाइम की कमी की वजह से दूध में उपस्थित लैक्टोज टूट नहीं पाता है। नतीजन दूध को पचाना मुश्किल होता है। 

पढ़ें- क्या केला से बवासीर का इलाज संभव है?

यदि गौर किया जाए तो आज लगभग हर व्यक्ति पैक्ड मिल्क का यूज करता है। मतलब हम बाजार में मिलने वाले प्रोसेस्ड दूध का उपयोग करते हैं। पैकेट बंद दूध बाजार में आने से पहले कई तरह के मशीनी प्रक्रियाओं से गुजरता है।

[the_ad id=”1962″]

दूध को पूरी तरह से शुद्ध करने के लिए इसे इंडस्ट्री में पाश्चुरीकृत की प्रक्रिया से गुजारा जाता है। गाय के दूध में बहुत से जरूरी एंटी-बायोटिक गुण, बैक्टीरिया, एंजाइम, खनिज एवं हॉर्मोन होते हैं। ये सभी चीजें दूध को पचाने में अहम योगदान निभाती हैं। लेकिन दूध की शुद्धता को बनाए रखने के लिए Pasteurization के दौरान इन्हें खत्म कर दिया जाता है।

इतना ही नहीं, आज के परिवेश में गाय को हरी घांस प्राप्त होना हकीकत में एलियंस से मिलना जैसा हो गया है। दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए बाजार में कई तरह के पशु आहार मिलते हैं। इनमें दूध बढ़ाने के लिए कई तरह के केमिकल का उपयोग किया जाता है। अगर एक शब्दों में कहा जाए तो आज के दौर में गाय से निकलने वाला दूध प्योर आर्गेनिक नहीं होता है। 

ये सभी कारण दूध के पचने की क्षमता को प्रभावित करते हैं और कब्ज का कारण बन सकते हैं। अपच के कारण पेट में गुड़गुड़ होना, गैस बनना, कब्ज होना आदि कई समस्याएं हो सकती हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से बवासीर के मस्से के आकार को बढ़ाने में मदद करते हैं।

पुरानी चिकित्सा पद्धति में दूध को एक सुस्त आहार माना जाता था, क्योंकि यह पाचन तंत्र को सुस्त बनाकर खाना पचाने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। 

कब्ज से बवासीर के मस्से का आकार क्यों बढ़ जाता है?

कब्ज होने पर मलत्याग के दौरान शुष्क मल निकलता है जो बवासीर के जख्म को हरा कर देता है। नतीजन मस्से सूखने के बजाय बढ़ने लगते हैं।

इसके अलावा कब्ज के कारण रोगी को मलत्याग के दौरान अधिक प्रेशर लगाना पड़ता है। इससे बवासीर से प्रभावित नसों में दबाव बनता है और सूजन एवं रक्तस्त्राव की समस्या हो सकती है। नतीजन जख्म भरने के बजाय गंभीर हो जाता है।

पढ़ें – पाइल्स डाइट इन हिंदी

बवासीर में कौन से दुग्ध उत्पाद खाए/पिए जा सकते हैं?

एक कम्पलीट फूड होने के कारण दूध का परित्याग करना मूर्खता होगी। हालांकि, यदि आप बवासीर से पीड़ित हैं तो आपको इसके सेवन से बचना चाहिए।

बवासीर के दौरान आप दूध तो नहीं लेकिन दूध से निर्मित कुछ उत्पाद का सेवन कर सकते हैं जो आपके पाचन को प्रभावित नहीं करेंगे और कई तरह के हेल्थ बेनेफिट्स भी देंगे। यहाँ तक की ये पाचन को दुरुस्त करने में भी मदद करेंगे।

दही

दही को प्रोबायोटिक का खजाना माना जाता है। दरअसल, प्रोबायोटिक एक प्रकार का बैक्टीरिया है जो पाचन क्रिया में मदद करता है। यह कब्ज दूर करता है। यही नहीं दही का सेवन आपको एनर्जेटिक रखता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।

कई रिसर्च में यह दावा किया गया है कि प्रोबायोटिक कब्ज को नियंत्रित करके बवासीर को गंभीर होने/बढ़ने से रोकने में मददगार हैं।

केफिर

केफिर दूध से बनने वाला बहुत ही फेमस पेय है। इसे बवासीर के दौरान पिया जा सकता है। इसे दूध को किण्वित  करके बनाया जाता है। 30 डिग्री सेलसियस में दूध को कुछ देर तक गर्म करने के बाद उसमें खमीर डालकर किण्वित किया जाता है।

Fermentation केफिर बनाने की लास्ट प्रोसेस है। केफिर में कई तरह के बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखकर खाना पचाने में मदद करते हैं। केफिर को कई ईस्ट एंड वेस्ट यूरोपियन कंट्रीज में हेल्दी फूड की तरह उपयोग किया जाता है। दही की तरह इसके भी कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं।

पढ़ें- बवासीर के ऑपरेशन में कितना खर्च आता है?

डेयरी उत्पाद के विकल्प

भले ही दूध को बैलेंस डाइट में उच्च स्थान मिला है, लेकिन एक्सपर्ट्स के अनुसार बवासीर के दौरान इसके सेवन से परहेज करना बहुत जरूरी है। सिर्फ दूध ही नहीं, दही और केफिर को छोड़कर, इससे निर्मित अन्य उत्पाद जैसे आइसक्रीम, पनीर आदि के सेवन से परहेज करना चाहिए।

दूध में कैल्शियम और प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसकी आपूर्ति करने के लिए आप बवासीर के दौरान अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं। उनमें से कुछ खाद्य पदार्थ निम्न हैं:

“दही, पालक, पत्ता गोभी, ब्रोकली, केफिर, केला ,चोकर युक्त रोटी आदि”

डॉक्टर के पास जाएं

क्या आपको पता है कि घरेलू नुस्खे सिर्फ ग्रेड 1 के निचले बवासीर का इलाज कर सकते हैं। घरेलू नुस्खे के साथ डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का भी उपयोग करना बहुत जरूरी है। इसलिए यदि आपके मस्से का आकार बहुत अधिक है तो डॉक्टर के पास निदान के लिए जाना चाहिए।

पढ़ें- बवासीर का लेजर ऑपरेशन कैसे होता है?

डॉक्टर स्थिति के अनुसार दवाओं की सलाह देंगे। यदि आपके मस्से का आकार बहुत बड़ा है तो सर्जरी की सलाह दी जा सकती है। सर्जरी के लिए आपको लेजर प्रक्रिया का चयन करना चाहिए।

हम भारत के कई हिस्से में बवासीर का निदान एवं उपचार प्रदान करते हैं, हमारे अनुभवी डॉक्टर (20 साल से अधिक वर्ष का अनुभव ) से बवासीर का सबसे अच्छा उपचार प्राप्त करने के लिए अपॉइंटमेंट बुक करें अथवा फोन करें। अपॉइंटमेंट बुक करना एवं फोन पर बात करना दोनों ही बिल्कुल मुफ्त है।

पढ़ें- बवासीर का ऑपरेशन के बाद कितने दिन तक दर्द होता है?

निष्कर्ष – यदि आप बवासीर या अन्य गुदा रोग से पीड़ित हैं तो आपको दूध और उससे निर्मित उत्पादों के सेवन से परहेज करना चाहिए। साथ ही खुद डॉक्टर बनने के बजाय,  डॉक्टर से निदान कराकर उचित दवाओं का सेवन करना चाहिए।

किसी भी स्वास्थ्य संबंधी चिंता के लिए डॉक्टर से ऑनलाइन परामर्श लें

Arrow Icon
Arrow Icon

फिशर

expand icon

भगंदर

expand icon

बवासीर

expand icon